हैड्रोस्टेटिक ट्रंसमिशन वाले ट्रैक्टर क्यों हैं बेहतर ? जानें इसके फायदे और नुकसान
ट्रैक्टर खरीदते समय आपको ट्रैक्टर की नई नई खूबियां बताई जाती हैं । पर देखा गया है कि ज्यादातर किसान उन फीचर्स को समझे बिना ही ट्रैक्टर का चुनाव कर लेते हैं । जिससे वह कुछ टीचरों से मिलने वाले लाभों से वंचित रह जाते हैं । ऐसी ही एक सामान्य उलझन होती है कि " हाइड्रो स्टैटिक ट्रांसमिशन ट्रैक्टर बेहतर है या पारंपरिक गियर ट्रांसमिशन आधारित ट्रैक्टर ? "
हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन हाइड्रोलिक पदार्थ द्वारा संचालित होता है और बिना गियर बदले आपको ट्रैक्टर की स्पीड का सहज समायोजन प्रदान करता है । इस ट्रांसमिशन पद्धति में मोटर चलाने के लिए हाइड्रोलिक चर विस्थापन पंप का उपयोग होता है । परंपरागत रूप से चले आ रहे गियर ट्रांसमिशन के मुकाबले हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन ट्रैक्टर को बहु उपयोगी और उपयोग में आसान बनाता है।
हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन के फायदे
हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन का सबसे बड़ा फायदा इसका आसान उपयोग है । इस को फॉरवर्ड और रिवर्स पेडल द्वारा नियंत्रित किया जाता है । इसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग स्पीड पर आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं । इसकी तुरंत आगे से पीछे की ओर शिफ्ट करने की क्षमता हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन को फ्रंट एंड लोडर के साथ काम करने के लिए उपयुक्त बनाती है । इसके अलावा पैरों से ट्रैक्टर की स्पीड और दशा को नियंत्रण करने की क्षमता भी इसका एक सकारात्मक पहलू है । जिससे स्टीयरिंग और लोडर को संचालित करने के लिए आपके हाथ मुक्त हो जाते हैं और आप अन्य कार्यों पर ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं ।
हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन की कमियां
हाइड्रोस्टैटिक ट्रांसमिशन, इंजन हॉर्सपावर को पावर टेक-ऑफ या PTO हॉर्स पावर में ट्रांसलेट करने के हिसाब से गियर ट्रांसमीशन के रूप में कुशल नहीं हैं । इसलिए यदि आप PTO- चालित उपकरणों का उपयोग करते हैं, तो यह जांच लें कि हाइड्रोस्टैटिक ट्रांसमिशन के साथ ट्रैक्टर का PTO हॉर्सपावर कार्यों को संभालने के लिए पर्याप्त मजबूत है या नहीं । इसके अलावा हाइड्रोस्टेटिक ट्रांसमिशन का उपयोग ढलान वाले इलाके करना थोड़ा कम उपयुक्त माना जाता है । क्योंकि यह है ढलान वाले इलाके में गियर ट्रांसमिशन के मुकाबले भार को संभालने में सक्षम नहीं होता ।
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