सिंचाई के लिए कराएं प्लास्टिक तालाब का निर्माण, वर्षो के लिए पानी की कमी से निजात पाएं।
कृषि के क्षेत्र में जो सबसे प्रमुख और मूल जरूरत होती है, वो सिंचाई के लिए पानी की होती है। अनियमित बारिश से आज के दौर में किसानों को पानी से संबंधित समस्याओं का सामन करना पड़ता है और ज्यादातर इलाकों में भू जल स्तर गिरता जा रहा है। कई किसानों के सामने तो आने वाले समय भूमि बंजर होने का तक खतरा मंडरा रहा है। किसान चाहते है किसी तरह से उनकी पानी की जरूरतें पूर्ण हो सकें, ऐसे में आज कल देश के कई इलाकों में किसान सिंचाई के नए नए तरीके अपना रहे है। सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने वाला ऐसा ही एक तरीका है - प्लास्टिक तालाब, जिसे मध्य और पश्चिम भारत के कई इलाकों में अपनाया जा रहा है। ऐसे तालाबों में पॉलीथीन बिछा कर वर्षा जल को संग्रहित किया जा रहा है।
तालाब की खासियत:-
इस तरह के तालाब की खास बात यह है कि इनमें पानी इकठ्ठा हो जाता है और जमीन के अंदर नहीं जाता, प्लास्टिक बिछाने का उद्देश्य ही यही है। जनवरी- फरबरी माह में तालाब में संग्रहीत जल बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।
इस तरह के तालाबों में इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की चादर 500 माइक्रोन तक की होनी चाहिए।
अगर आप 1 हेक्टेयर भूमि पर तालाब निर्माण करते है तो लगभग तालाब में 2 करोड़ 31 लाख लीटर पानी संग्रहीत होगा। इसमें 8 से 10 फीसद पानी के वाष्पीकरण होने की संभावना है, बचे हुए पानी को कृषि कार्यों में उपयोग में लिया जा सकता है।
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मिलती है सब्सिडी:-
किसानों की आर्थिक हालत को देखते हुये सभी किसनों के लिए यह संभव नहीं है कि वे अपने खेत में खेत तलाब बना ले तथा उन तलाबों में प्लास्टिक भी लगा सके। केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को 1 जुलाई 201 –16 से 5 वर्षों के लिए 2019 – 20 के लिए शुरू किया है। इस योजना के लिए 5 वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपया खर्च किया जायेगा। इस तरह की योजना के चलते किसान तालाब निर्माण और प्लास्टिक बिछाने पर लगभग 50 प्रतिशत तक अनुदान सरकार से प्राप्त कर सकते है, जो कि राज्यों पर निर्भर करता है। महाराष्ट्र में तो इस तरह के तालाबों के लिए 100 प्रतिशत सब्सिडी की भी घोषणा की जा चुकी है।
आमतौर पर किसानों सब्सिडी आदि जानकारी नहीं होती परन्तु वो अगर सब्सिडी की जानकारी जुटा ले और उसके लिए थोड़े प्रयत्न करें तो उनके लिए यह बहुत लाभदायक होगा। तालाब निर्माण के बाद कई वर्षों के लिए उनकी सिंचाई संबंधी समस्या दूर हो जाएगी।
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