देश में हरित क्रांति के बाद खेती में उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ा है। उर्वरक और कीटनाशकों के प्रयोग से जहां देश खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हुआ है, वहीं उर्वरक और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से कई तरह की बीमारियां ने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत सरकार ने कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को देखते हुए 6 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये कीटनाशक साल 2021 की पहली तारीख से नहीं बिक सकेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ कीटनाशक ऐसे हैं, जिनकी जांच में पॉइजन की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। ऐसे कीटनाशकों के इस्तेमाल से कैंसर, किडनी एवं लीवर खराब होने, हार्टअटैक सहित कई गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। अब इन कीटनाशकों का रजिस्ट्रीकरण, आयात, विनिर्माण, सूत्री करण (फार्मूला), परिवहन, बिक्री और उपयोग नहीं किया जा सकेगा। केंद्र सरकार पहले ही कीटनाशकों पर प्रतिबंध का कीटनाशी अधिनियम 1968 की धार 28 के साथ पठित धारा 27 की शक्तियों के अंतर्गत नोटिफिकेशन जारी कर चुकी है।
एक विशेषज्ञ समिति की सलाह के बाद, केंद्र सरकार ने 8 अगस्त 2020 से तत्काल प्रभाव से 12 कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था और 31 दिसंबर, 2020 तक 6 अन्य कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करने के आदेश जारी किए गए थे, क्योंकि उनका उपयोग लोगों और जानवरों के लिए जोखिम भरा है। अब इन छह कीटनाशकों को 31 दिसंबर 2020 से पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
31 दिसंबर से प्रतिबंधित छह कीटनाशकों की सूची
अल्लाक्लोर
डिक्लोरवोस
फूलना
फॉस्फैमिडन
ट्रायजोफॉस
ट्राइक्लोरफॉन
फसलों में प्रयोग किए जा रहे कीटनाशकों को मानव स्वास्थ्य के लिए घातक मानते हुए केंद्र सरकार इससे पहले 2019 में 19 कीटनाशकों व अगस्त 2020 में 12 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा चुकी है। ये ऐसे कीटनाशक हैं, जिनकी जांच में पॉइजन की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। ऐसे कीटनाशकों के इस्तेमाल से कैंसर, किडनी एवं लीवर खराब होने, हार्टअटैक सहित कई गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। अब इन कीटनाशकों का रजिस्ट्रीकरण, आयात, विनिर्माण, सूत्री करण (फार्मूला), परिवहन, बिक्री और उपयोग नहीं किया जा सकेगा। केंद्र सरकार की ओर से 8 अगस्त को इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध के लिए से नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन में दिए निर्देशों का उल्लंघन करने वाले फैक्ट्री मालिकों, दुकानदारों और उपयोग करने वालों के खिलाफ कृषि विभाग की ओर से कीटनाशी अधिनियम 1968 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार कीटनाशक मानव शरीर में लीवर, किडनी, फेफड़ों और आंतों के लिए बेहद खतरनाक हैं। जांच में मानक से अधिक पाई गई पॉइजन की मात्रा, प्रतिबंधित कीटनाशकों का उपयोग करने पर कार्रवाई होगी। सरकार ने कीटनाशकों पर प्रतिबंध का कीटनाशी अधिनियम 1968 की धार 28 के साथ पठित धारा 27 की शक्तियों के अंतर्गत नोटिफिकेशन जारी किया है।
बेनोमाइल, कार्बराइल, डायजिनोन, फेनरियोल, फेंथियोन, लिनुरान, मैथोक्र्सीथाइल मरकरी क्लोराइड, मिथाइल पैराथियोन, सोडियम साइनाइड, थियोमेट एवं ट्राईडेमोर्फ 8 अगस्त के बाद प्रतिबंधित कर दिए गए हैं।
उर्वरक पौध की वृद्धि में मदद करते हैं जबकि कीटनाशक कीटों से रक्षा के उपाय के रूप में कार्य करते हैं। कीटनाशक रासायनिक या जैविक पदार्थों का ऐसा मिश्रण होता है जो कीड़े मकोड़ों से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने, उन्हें मारने या उनसे बचाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कृषि के क्षेत्र में पेड़ पौधों को बचाने के लिए बहुतायत से किया जाता है। बहुत से कीटनाशक मानव के लिए जहरीले होते हैं। सरकार ने कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है जबकि अन्य के इस्तेमाल को विनियमित किया गया है।
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